सृजन परिप्रेक्ष्य का दूसरा परिपत्र हम काफी विलम्ब से भेज रहे हैं। मूल योजना यह थी कि पत्रिका अक्टूबर, 2001 में प्रकाशित हो जाये। लेकिन जल्दी ही हमें अहसास हो गया कि तैयारी के हर पहलू को देखते हुए यह काफी जल्दबाजी होगी।
साथ ही, देश भर के साथियों-सहयात्रियों से मिले सुझावों-परामर्शों-आलोचनाओं पर हम गम्भीरता से सोच-विचार कर लेना चाहते थे।
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