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Jan172002
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सृजन परिप्रेक्ष्य का दूसरा परिपत्र हम काफी विलम्ब से भेज रहे हैं। मूल योजना यह थी कि पत्रिका अक्टूबर, 2001 में प्रकाशित हो जाये। लेकिन जल्दी ही हमें अहसास हो गया कि तैयारी के हर पहलू को देखते हुए यह काफी जल्दबाजी होगी।
साथ ही, देश भर के साथियों-सहयात्रियों से मिले सुझावों-परामर्शों-आलोचनाओं पर हम गम्भीरता से सोच-विचार कर लेना चाहते थे। read more
साहित्य-कला-संस्कृति के अहम और जरूरी सैद्धान्तिक पक्षों पर लेखन, विचार-विमर्श और बहस के मंच के रूप में हम एक नई पत्रिका ‘सृजन परिप्रेक्ष्य’ की शुरुआत करने जा रहे हैं। आपके सुझावों के बिना हम अपनी अवधारणा और परियोजना को समृद्ध नहीं कर सकते। आपकी सक्रिय भागीदारी और सहयोग के बिना हम इस उपक्रम को साकार रूप नहीं दे सकते। read more