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अमीरी बराका : काली अमेरिकी रैडिकल चेतना के एक सबसे मुखर प्रवक्ता का जाना

सत्यप्रकाशAmiriBaraka

पिछली 9 जनवरी को अमीरी बराका के निधन के साथ ही वह आवाज़ हमेशा के लिए शान्त हो गयी जो अमेरिका में काले लोगों की चेतना को रैडिकलाइज़ करने में सबसे अहम योगदान करने वालों में शामिल थी। पाल लारेंस डनबर, लैंग्सटन ह्यूज, ज़ोरा वीले हर्स्टन, रिचर्ड राइट, फ्रेडरिक डगलस, फ़िलिस व्हीटले जैसे लेखकों की  श्रंखला में बराका शायद आखिरी बड़ा नाम थे। बराका अपने विचारों और शैली की उग्रता के कारण अक्सर विवादास्पद रहे लेकिन वे हमेशा जनता और न्याय के पक्ष में खड़े रहे। उनकी विचारयात्रा में कर्इ उतार-चढ़ाव आये लेकिन वे कभी हताश या जनविमुख नहीं हुए। वे कहते थे कि मैं एक ऐसे कलाकार के तौर पर याद किया जाना चाहूँगा जो निरन्तर अथक रूप से अन्याय को ख़त्म करने के बेहतर समाधानों की तलाश में था। उन्होंने अपनी साहित्यिक यात्रा बीटनिकों के साथ शुरू की, फ़िर काले राष्ट्रवाद और रैडिकल इस्लाम से होते हुए मार्क्सवाद-लेनिनवाद तक पहुँचे।

बराका का मूल नाम एवोर्इ लीराय जोन्स था। उनके पिता एक पोस्टल सुपरवाइज़र और माँ सोशल वर्कर थीं। होवर्ड युनिवर्सिटी से पढ़ार्इ करने के बाद वे 1954 से 1957 तक अमेरिकी एअरपफोर्स में रहे और फ़िर मैनहट्टन आकर रहने लगे। यहीं वह ग्रीनविच विलेज के लेखकों, कलाकारों और कवियों की एक ढीली-ढाली मण्डली से जुड़ गये। अगले वर्ष उन्होंने एक यहूदी लेखिका हेटी कोहेन से शादी कर ली और दोनों मिलकर ‘युगेन’ नाम से एक अवाँ-गार्द साहित्यिक पत्रिका निकालने लगे। इसी समय उन्होंने टोटेम प्रेस भी स्थापित किया जिसने एलेन गिन्सबर्ग, जैक केराउक आदि के संकलन पहलेपहल प्रकाशित किये। लीराय जोन्स के नाम से उनका पहला कविता संकलन ‘प्रीफ़ेस टु ए टवेंटी-वाल्यूम सुसाइड नोट’ 1961 में प्रकाशित हुआ। अगले वर्ष 1962 में आये उनके दो नाटक ‘द स्लेव’ और ‘द टायलेट’ उनमें गोरे शासन और समाज के प्रति बढ़ते अविश्वास और गुस्से को प्रकट करते थे।

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पीट सीगर (1919-2014): जनता की आवाज़ का एक बेमिसाल नुमाइन्दा

27 जनवरी 2014 के दिन पीट सीगर की मृत्यु के साथ प्रतिरोध संगीत का एक युग ख़त्म हो गया। पीट सीगर ने प्रतिरोध व प्रगतिशील संगीतज्ञों और साथ ही पश्चिमी लोक संगीतज्ञों की कर्इ पीढ़ियों का पालन-पोषण अपने हाथों से किया था। इन संगीतज्ञों में बाब डिलन, डान मैक्लीन, बर्नीस जानसन रीगन, आदि प्रमुख थे। 3 मर्इ 1919 को जन्मे पीट सीगर का 94 वर्ष का जीवन जनता को समर्पित था। सीगर का जन्म संगीतज्ञों के एक परिवार में हुआ था। उनके पिता चार्ल्स सीगर एक संगीत विशेषज्ञ थे जबकि माँ कांस्टैंस आर्केस्ट्रा में वायलिन वादक थीं। पीट जब छोटे थे तभी पिता ने उनका परिचय लोक संगीत से करा दिया था। माँ और पिता अक्सर ही उन्हें संगीत कंसर्टों और लोक संगीत समारोहों में लेकर जाते थे। read more