Monthly Archives: April 2013

कला और थियेटर के विषय में – बेर्टोल्ट ब्रेष्ट

“कला यथार्थ के समक्ष रखा जाने वाला कोई आइना नहीं है, बल्कि एक हथौड़ा है जिससे कि यथार्थ को रूप दिया जाय।” “हमें एक ऐसे थियेटर की ज़रुरत है जो न केवल मानव सम्बन्धों के उस विशिष्ट क्षेत्र में मौजूद … read more

ग्याँर्गी लुकाच का एक उद्दरण

यह सच है कि हमारी संस्कृति इस समय अँधियारे के बीच से गुज़र रही है, परन्तु इतिहास-दर्शन के ऊपर यह दायित्व है कि वह इस बात का निर्णय ले कि जो अँधियारा इस समय छाया हुआ है वह हमारी संस्कृति … read more